कर्नाटक के उडुपी जिले के करकला तालुक के ईडू गांव के पास एंटी-नक्सल फोर्स (एएनएफ) ने 46 वर्षीय एक खतरनाक नक्सली को मार गिराया. गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि एएनएफ करीब 20 साल से नक्सली विक्रम गौड़ा को पकड़ने की कोशिश कर रहा था. उसके खिलाफ कर्नाटक में हत्या और जबरन वसूली सहित 61 मामले और केरल में 19 मामले दर्ज हैं. उसके साथ पहले भी कई बार मुठभेड़ हुई, लेकिन हर बार वो बच निकला.
पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) डी रूपा मौदगिल के अनुसार, विक्रम गौड़ा नक्सलियों के 'कबिनी 2' ग्रुप का नेतृत्व करता था. सोमवार शाम को गहन तलाशी अभियान के दौरान आंतरिक सुरक्षा प्रभाग के अंतर्गत आने वाले एएनएफ ने नक्सलियों के एक समूह को देखा. एएनएफ को देखते ही नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में एएनएफ ने विक्रम गौड़ा को मारा गया, जबकि उसके साथी वहां से भाग निकले.
आईजीपी ने कहा कि विक्रम गौड़ा दो दशकों से दक्षिण भारत में नक्सली अभियानों का नेतृत्व कर रहा था. उसने केरल और तमिलनाडु में शरण ली थी और कई बार कोडागु (कर्नाटक में) का दौरा किया था. वो पुलिस से बचने के लिए लगातार एक राज्य से दूसरे राज्य में आ-जा रहा था. एएनएफ उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा था, लेकिन उसे पकड़ नहीं पा रहा था. पिछले सप्ताह दो नक्सलियों राजू और लता को देखा गया था.
एएनएफ को चकमा देकर वो दोनों भाग निकले थे. उन्हें पकड़ने के लिए लगभग एक सप्ताह से तलाशी अभियान चल रहा था. अचानक एनएएफ अधिकारियों को विक्रम गौड़ा बारे में जानकारी मिली. इसके बाद उसे मार गिराया गया. आईजीपी रूपा मौदगिल ने कहा कि उसकी हत्या ने केरल और कर्नाटक में नक्सली आंदोलन को काफी हद तक कमजोर कर दिया है. कर्नाटक के पश्चिमी घाट क्षेत्र में दो नक्सली समूह सक्रिय हैं.
उनमें से सबसे बड़े समूह का नेतृत्व विक्रम गौड़ा कर रहा था. उसके मारे जाने के बाद, दोनों समूह विघटन के कगार पर हैं. एएनएफ राज्य पुलिस की मदद से क्षेत्र में अपना तलाशी अभियान जारी रखेगा. कर्नाटक राज्य आंतरिक सुरक्षा प्रभाग के 100 जवान बेंगलुरु और शिवमोगा से आए थे. उन्होंने 10 नवंबर से तलाशी अभियान में हिस्सा लिया. विक्रम गौड़ा उर्फ श्रीकांत कर्नाटक में सबसे वांछित नक्सलियों में से एक था.
आईजीपी ने बताया कि विक्रम गौड़ा के बाद पांच-छह लोग अभी भी फरार हैं. उनका इंतजार किया जा रहा है. वो लोग जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या मुठभेड़ जरूरी थी और क्या उसे मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता था, गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा, "उसने (गौड़ा) पुलिस को देखते ही उन पर गोली चला दी, इसलिए उन्हें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. यह पहली बुनियादी जानकारी है जो मुझे मिली है."
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